Saturday, 9 February 2013
Friday, 8 February 2013
Cherish Love
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आज आया है सावन पर वैसा नहीं,
आज हुई है बारिश पर वैसी नहीं,
नाचे आज मोर पर वैसे नहीं,
खिल उठा है मौसम पर वैसा नहीं,
गुनगुना रही है हवा पर वैसी नहीं,
जैसे
होती थी मेरे बचपन में...
भीगा करते थे आंगन में, पेड़ों के साथ-साथ
कोयल से कूंकते थे, कोयल के साथ-साथ
चेहरे भी खिलते थे, फूलों के साथ-साथ
पत्ते भी लहराते थे, मेरे साथ- साथ
दौड़ पड़ते थे देखने को सात रंग आकाश
में,
चीख चीख कर आवाज़ देते सहेलियों की
तलाश में,
कनखियों से देखते थे सूरज के प्रकाश
में,
आज आया है सावन पर वैसा नहीं,
आज हुई है बारिश पर वैसी नहीं,
जैसी होती थी मेरे लड़कपन में,
बस्तों को बचाते खुद भीग जाते,
स्कूल से घर भीगते हुए आते,
जामुन के पेड़ों से जामुन लाते,
पडौसी के घर से फूल चुराते,
छुप-छुप कर देखते, कानों मैं खुसफुसते,
मम्मी के हाथ के पकौड़े खाते,
मक्का के दाने भी खूब भाते,
सर्दी होने पर मम्मी पापा चिल्लाते,
प्यार से फिर बाम से सहलाते,
तीजों पर मेहँदी से हाथ सजाते,
फिर जिज्जे के हाथ से हलवा-पूरी खाते
राखी पर भाई से खूब कमाते,
फिर सारे पैसे उसी पर लुटाते
आज आया है सावन पर वैसा नहीं,
आज हुई है बारिश पर वैसी नहीं,
अब तो है बस ऑफिस की बातें
शहर का शोर, गाड़ी की आवाज़े,
भीड़ मैं खुम हुई सारी बरसाते,
सावन के झूले और बचपन की यादे,
घर पहुँचते है सब, रात के आते,
थक कर पुरे चूर चूर हो जाते,
आज आया है सावन पैर वैसा नहीं,
आज हुई है बारिश पैर वैसी नहीं...
राजश्री शर्मा
Thursday, 7 February 2013
Khushi
Teri khushi main meri khushi hai..
Meri khushi main Teri khushi hai...
Per ye n Teri khushi hai, n meri kushi...
Fir bhi ye unki khushi hai,
jinki khushi se Teri khushi aur meri khushi hai...
. Love Sakhi
Location:
Jodhpur Village, Jodhpur Village
Teri mohobbat
कांपती ठण्ड मैं तेरे हाथों को सहलाती रही,
तेरे लिए दुनिया में बुरी कहलाती रही
जवाब जानती फिर भी सवाल करती,
तेरे आवाज़ से अपना दिल खुशहाल करती
जानकर अपनी जुल्फों को उलझाती,
तेरी उंगलियाँ उन्हें बार बार सुलझाती
अपनी चुनरी तुझ पर यूँ झटकती
तेरे मन को हर पल यूँही भटकाती
तेरी बाजुओं ने मुझे झुलाया है बहुत
गोदी मैं सर रख हमने भी तुझे सुलाया है बहुत
जब भी लिया था आगोश में
कह गए थे सब पर खामोश थे
नाराज़ होती थी की अब मनाओगे
आज तो खूब प्यार हम पर बरसाओगे
तेरी छाया को अब भी चूमती हूँ
उस वीरानी डगर पर अब भी घूमती हूँ
तेरे इंतज़ार में दर अब भी तरसते है
आखों से वो मोती अब भी बरसते है
लगता था एक दिन अपनाएगा
नहीं पता था सिर्फ मीठी बातों से बहलायेगा
मैंने भी अश्कों को बहाया है बहुत
तेरी मुहोब्बत ने मुझे रुलाया है बहुत
Vo Raat
कहने को थे, सब मेरे साथ
पर शायद थी,
वो एक अकेली रात
आखें बंद हुई तो लगा,
कोई है मेरे पास,
उस एक अकेली रात,
जिसने सर को सहलाया,
जुल्फों को सुलझाया,
प्यार का एहसास कराया ....
तब मैंने देखा
वो तो वही था ,
जो चुपके से आता था ,
दिल का चैन चुराता था ,
सारी खुशियाँ दे जाता था।
फिर उस्सने सारी खुशियाँ देदी,
इतनी की मैं समेंट ही न पाई,
लगा मनो जीवन जी लिया,
आखों से नए सपनों को सी लिया।
उस एक अकेली रात ....
नींद सोयी तब भोर हुई
मैंने सुना,
चिड़ियों का चहचहाना ,
पत्तों का गुनगुनाना ...
और मेह्सून किया
पुर्वा ल लहराना ,
धुप का सहराना ...
लाग सब मेरा है , मेरे लिए है
ज़िन्दगी ही बदल गयी
उस एक अकेली रात ...
अचानक!!!
हुआ ज़ोरों का शोर ,पता नहीं वह क्या था
और आँख खुल गयी
मैं तो वहीं थी ,वैसी ही खाली हाथ ,
वो एक अकेली रात .....
वो एक अकेली रात .....
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