उमंगों का सैलाब है तू
तरंगों का शबाब है तू
हर सवाल का जवाब है तू
किसी तन्हा का ख्वाब है तू
ये आखों में है स्वप्न सारे
रातों को अब चांद निहारे
तू ही लगता एक सहारा
तुझसे ही है , बाग बहारें
रौशन है तू, सूर्य सा
रौनक है ये, काया तेरी
सोने से लगता , जिस्म है
आखों में दमक है नूर सा
तू है दिशा एक अलग सी
तू है नशा इक हल्का सा
तेरा स्पर्श है सिरहन सा
जैसे सुर्ख शाम में फलक सा
पाने को तुझको कामना
इक तुझ से हो अब सामना
तुझ में कहीं घुल जाऊ मैं
तू भी मुझे अब थामना
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