Tuesday, 15 July 2014

बारिश




रिमझिम बारिश की बूंदे 
जब तन को छू कर जाती है 
सुलगते हुए मन में 
ठंडी सी आग लगाती है 


रिमझिम बारिश की बूंदे

 जब अधरों को सहलाती है,
तेरे प्यार की आस भी 
मेरी प्यास बन जाती है 

ठंडी ठंडी पवन जब

 ज़ुल्फ़ें उड़ा कर जाती है
 तेरी वो आवाज़ कानों में 
गुंजन करके जाती है 

ठंडी ठंडी बूंदे जब 

बालों से रस टपकाती है 
न जाने फिर से दिल को क्यों 
तेरी याद सताती है। 

No comments:

Post a Comment