रिमझिम बारिश की बूंदे
जब तन को छू कर जाती है सुलगते हुए मन में
ठंडी सी आग लगाती है
रिमझिम बारिश की बूंदे
जब अधरों को सहलाती है,
तेरे प्यार की आस भी
मेरी प्यास बन जाती है
ठंडी ठंडी पवन जब
ज़ुल्फ़ें उड़ा कर जाती है
तेरी वो आवाज़ कानों में
गुंजन करके जाती है
ठंडी ठंडी बूंदे जब
बालों से रस टपकाती है
न जाने फिर से दिल को क्यों
तेरी याद सताती है।
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