Monday 31 December 2018

बहुत याद किया

बहुत याद किया
तुझे आज बहुत याद किया

लंबी चांदी सी रातों को
अपनी मीठी सी बातों
उन दिलचस्प तेरे स्वादों को
आज बहुत याद किया

हरे हरे उस सेहरा में
कच्ची पक्की राहों पर
तुझको आजमाना
आज बहुत याद किया

गुलाबी सी वो श्याम को
क्षितिज में ढालते सूरज को
तेरे संग समय बिताना
आज बहुत याद किया

तेरा हाथों को गुदगुदाना
तेरी गर्मी से उनको तपाना
अपने नखों को चुभाना
आज बहुत याद किया

बातों बातों में जब ,
तुझसे नजर मिलाना
और खुद को उनमें पाना
आज बहुत याद किया

सीने पर रख कर सिर मेरा
तेरी धड़कन से ताल मिलाना
तेरा मेरे बालों को सहलाना
आज बहुत याद किया

कोई बहाना न बनाना
सिर्फ शरारतें बढ़ाना ,
तेरी बाहों में जकड़ जाना
आज बहुत याद किया।

माथे पर मीठा बोसा पाना
मेरा थोड़ा थोड़ा घबराना
फिर तेरे संग हो जाना
आज बहुत याद किया

मेरी खुशबू से तुझे महकाना
बालों को खोल तुझे बेहकाना
फिर खुद ही मदहोश  जाना
आज बहुत याद किया

तेरे प्यार में डूब जाना
मेरे कानो में तेरा खुस्फुसना
कहना, not going to leave you!!
आज बहुत याद किया

अधूरे अपने ख्याब छोड़
फिर मिलने की आस लिए
तुझसे विदा हो जाना
आज बहुत याद किया।



Thursday 14 June 2018

पीहर


मिलगई थोड़ी ठंडी छावं ,
जब रखे पीहर में पाँव
चढे थे मुझको महीनों से चाव,
अब लौट जाना है,

बाबुल का प्यार, माँ का दुलार
ममता की रोटी, आम का अचार
बहनों की बातें , शिकायतें हज़ार
चहल -पहल से भरा घरबार

कुल्फी की घंटी, बुढ़िया के बाल
बगीचे के झूले, बच्चो का प्यार
ढेरों खिलोने, पर नखरे हरबार
नाना के घर में इठलाते ये चार

अम्बिया पर बैठी कोयल की पुकार
पत्तो के बीच सरसराती बयार
जून की बारिश की ठंडी फुहार
मिट्टी की खुशबू, कागज़ की पतवार

जुड़े हुए है यहां दिल के तार
खींच लाये यहां, मुझे बारंबार
संजोली यादें और दो चार
अब लौट जाना है।

Wednesday 28 March 2018

ख्वाब है तू






उमंगों का सैलाब है तू
तरंगों का शबाब है तू
हर सवाल का जवाब है तू
किसी तन्हा का ख्वाब है तू

ये आखों में है स्वप्न सारे
रातों को अब चांद निहारे
तू ही लगता एक सहारा
तुझसे ही है , बाग बहारें

रौशन है तू, सूर्य सा
रौनक है ये, काया तेरी
सोने से लगता , जिस्म है
आखों में दमक है नूर सा

तू है दिशा एक अलग सी
तू है नशा इक हल्का सा
तेरा स्पर्श है सिरहन सा
जैसे सुर्ख शाम में फलक सा

पाने को तुझको कामना
इक तुझ से हो अब सामना
तुझ में कहीं घुल जाऊ मैं
तू भी मुझे अब थामना