ख्वाहिशें
धरती का चक्कर लगाऊं
सातों समंदर में जाकर ,
सीपी से मोती लाऊँ
पंछी-से पर लगाकर
बादलों की सैर कर आऊं
रंग बिरंगे फूलों पर
भवरों सी मैं मँडराऊँ
जंगल में शेरों-सा
राजा बन टहलाऊँ
परियों के मेलों में जा
पारी-सी कहलाऊँ
मग्न होकर आसमाँ में
उनके गीत गुनगुनाऊँ
रातों को जो चाँद निहारा
उसको छू कर आऊं
सारे तारे चुन-चुन कर
अपनी टोकरी भर लाऊँ
इक-इक तारा सबको देदूं
घर-घर रौशन कर आऊं
इसके घर भी , उसके घर भी
खुशियों के दीप जलाऊँ |
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